कहानी का नाम : कमबख्त इश्क kambakht ishq
लेखक का नाम : शबनम गुप्ता
हेलो दोस्तों मैं आपको सुनाने जा रहा हूं। शबनम गुप्ता की लिखी कहानी: “कमबख्त इश्क” राजेश शाम को ऑफिस जाने की तैयारी कर रहा था। जब पास के केबिन से हंसी की आवाज़ें आने लगी। और उनमें से सबसे खनकती हुई पारुल की हंसी की आवाज थी। ऑफिस टाइम के बाद सारे नए मैनेजमेंट ट्रेनीज वही इकट्ठा होकर बातें करते थे। राजेश सोच रहा था। इन यंग लोगों की यही बीमारी है। किसी भी टाइम सीरियस नहीं हो सकते। हर टाइम गप्पे हंसी ठट्ठा। 40 की उम्र के राजेश को 22 23 साल के यह ट्रेनीज बहुत यंग लगते थे। वह एक बड़ी कंपनी का वाइस प्रेसिडेंट था। और छ: महीने पहले आए हुए ट्रेनिज की ट्रेनिंग का जिम्मा भी उसी पर था। अपना काम वह बहुत ही शख्ती से करता था। काम के समय में किसी भी किस्म का हंसी-मजाक उसको पसंद नहीं था। पर इन्हें समझाए कौन और पारुल तो जैसे चुंबक थी। उसका मुस्कुराता चेहरा। शरारती आंखें और हरेक से मुस्कुरा कर बात करने की आदत ऐसी थी कि। जहां खड़ी होती थी लोग जमा हो जाते थे। लेपटॉप बंद करते हुए राजेश अगले दिन की बोर्ड मीटिंग के बारे में सोच रहा था। तभी उसके केबिन में पारुल आए हाथ में एक प्लेट लिए। सर आज हमने पास कि कॉफी शॉप से सोमोसा मगवाए है। बहुत अच्छे हैं। प्लेट उसके सामने रखते हुए बोली। अगर इसकी जगह आप की रिसर्च की रिपोर्ट मिल जाती तो ज्यादा बेहतर होता। और “थैंक्यू” मुझे सोमोसा पसंद नहीं है। इस पर उनका चेहरा उतर गया। चेहरे पर से मुस्कान मिट गई। सर रिपोर्ट कल सुबह तक आपके टेबल पर होगी। प्लेट हाथ में लेकर वापस अपने केबिन में चली गई। राजेश सोच रहा था बस यही तो दिक्कत है इस पीढ़ी के साथ। कम बोलो या सिर्फ काम की बात करो तो इसको रूखापन समझते हैं। राजेश काम को बहुत गंभीरता से लेता था। इधर उधर की बातें करना उसको समय खराब करना लगता था। पिछले 15 साल से काम केअलावा और कुछ नहीं किया था उसने। अकेला रहता था शाम को ऑफिस से जिम और फिर घर। घर पर भी ऑफिस का ढेरों काम होता था। लेकिन अब कुछ दिनों से उसे अपना खाली घर उसे काटने लगा था। करीने से सजा हुआ। खूबसूरत चीजों से भरा हुआ घर भी खाली लग सकता है। अगर उसमें कोई इंतजार करने वाला ना हो। कोई यह पूछने वाला ना हो कि आज कितने बजे आओगे? या कोई यह शिकायत करने वाला ना हो कि आज फिर इतनी देर कर दी। यही सब सोचते हुए वह लिफ्ट की ओर चल दिया। लिफ्ट में लगे आईने में राजेश कि नजर अपने चेहरे पर पड़ी तो। एक पल के लिए खुद को पहचान नहीं पाया। थका हुआ चेहरा। बुझी हुई आंखें और यह क्या। बालों में यह हल्की सि सफेदी कब आ गई थी। यह थका हुआ आदमी मैं तो नहीं। आज आईना उसको किस की सूरत दिखा रहा था।
अगले दिन सुबह पारुल ने रिपोर्ट राजेश के सामने रखते हुए कहा। सर रिसर्च रिपोर्ट राजेश ने हू.. करके रिपोर्ट वहीं टेबल पर रखने का इशारा किया और अपना काम करता रहा। असलियत यह थी कि राजेश को पारुल पसंद थी। पारुल का मुस्कुराता हुआ चेहरा खनकती हुई हंसी। उसे भी अच्छी लगने लगी थी। कुछ दिनों से अपने कैबिन के सामने देखने वाली कॉफी मशीन पर वह पारुल का इंतजार करने लगा था। अब उसे पता था कि पारुल दिन में दो बार सुबह ऑफिस आने के बाद और दोपहर में खाना खाने के बाद जब कॉफी लेने आती है। राजेश की आंखें काम करते-करते भी घड़ी की तरफ लगी रहती थी। लेकिन वह खुद को याद दिलाता है कि वह उसका बॉस है। उसके दिल में एक अजीब सी कशमकश चल रही थी। जब राजेश ने रिपोर्ट देखी तो उसमें काफी गलतियां थी। पारुल को बुलाकर कहा। देखो रिपोर्ट ठीक नहीं बनी। MBA क्लासीस में ऐसे रिपोर्ट बनाना सिखाया जाता है। लेकिन कंपनी में रिपोर्ट बनाने का ढंग थोड़ा अलग होता है। पारुल बोली सर आप सीखा दीजिए मैं बहुत जल्दी सिख जाती हूं। राजेस बोला अभी मेरी मीटिंग है। और मैं कल 15 दिन के लिए बाहर जा रहा हूं। आप सभी ट्रेनिज को बता दीजिए मैं आज ऑफिस के बाद आप सबको रिपोर्ट राइटिंग सिखाउगा। पारुल वहाँ चुपचाप खड़े होकर उसकी तरफ देखने लगी। कुछ बोलने की हिम्मत जुटा रहे थी। राजेश ने काम करते-करते फिर सर उठाया और पूछा। कुछ कहना है। पारुल डरते-डरते बोली। सॉरी सर आज मेरे छोटे भाई का बर्थडे है। आज मैं रुक नहीं पाऊंगी। राजेश ने पेन नीचे रखा और बोला। आपको पता है मैंने भी आपकी उम्र में नौकरी जोइट की थी। और आज मैं इस मुकाम पर आपकी तरह पार्टियां और जन्मदिन मनाकर नहीं पहुंचा हूँ। दिल लगाकर सिर्फ और सिर्फ अपने काम पर ध्यान दिया। आप सभी से में यही उम्मीद करता हूं। पारुल की आंखों से दो मोटे मोटे आंसू उसके गालों पर लुढ़क गए। पारुल को कभी किसी ने ऐसे बात नहीं की थी। और राजेश सोच रहा था। यह क्या हुआ मैं तो बस समझा रहा था। डाट थोडी रहा था। इस केबिन में पहली बार तो उसने ऐसा लेक्चर दिया नहीं था। नहीं यह पहली बार थी कि उसकी बातें सुनकर किसी की आंखों में आंसू आए थे। लेकिन आज राजेश को पहली बार कुछ बुरा लगा था। क्यों हुआ था ऐसा। कही पारुल उसके लिए एक प्रेमी से बढ़कर कुछ खास तो। नहीं हो गई थी।
राजेश को काम के सिलसिले में काफी घूमना पड़ता था। पर इस बार मन नहीं लग रहा था। रह रह के पारुल का मुस्कुराता हुआ चेहरा उसकी आंखों के सामने आ जाता था। यह क्या हो गया। राजेश ने शीशे के सामने चेहरे पर शेविंग क्रीम लगाते हुए खुदसे पूछा। खुद को देखकर मुस्कुराए हुए। खुद से एसे बात किए हुए तो सदियां हो गई थी। सामने से शेविंग क्रीम लगा हुआ चेहरा मुस्कुरा कर बोला। प्यार-व्यार हो गया लगता है। सामने शीशे में चेहरा अब भी मुस्कुरा रहा था। क्या कर रहे हो। जरा सोचो तो 17 साल छोटी है तुमसे। जब तुम अपनी मोटरसाइकिल पर अपने कॉलेज की गर्ल फ्रेंड घूमा रहे थे। तो वह डाइपर में घूम रही थी। संभालो यह कैसे कैसे सपने सजाने लगे। सर हिलाकर मुस्कुराते हुए राजेश ने सोचा। यह क्या पागलपन है। और क्या हो रहा है मुझे। 15 दिन बड़ी मुश्किल से कटे। राजेश जिस दिन ऑफिस वापस आया उस दिन उसके मन में एक अजीब सी बेचैनी थी। जब पारुल को आते देखा तो लगा जैसे आंखों को सुकून मिला । पारुल उसके केबिन में मुस्कुराती हुवी आई। गुड मॉर्निंग सर। वेलकम बैक। राजेश ने हूँ हूँ करते हुए काम में मसरूफ होने का नाटक किया। आज क्यों नहीं देख पा रहा था वह पारुल की तरफ। कही उसे डर था कि कहीं उसकी आंखों में पारुल उसके दिल का हाल न पड़ ले। पारुल को राजेश की बेरुखी से बहुत तकलीफ हुई। सोच रही थी पता नहीं मुझसे इतने नाराज़ क्यों रहते हैं। उसे राजेश का संजीदा स्वभाव। उनका गंभीर चेहरा। उनकी गंभीर पर्सनालिटी। सब अच्छा लगता था। बाकी ट्रेनिज की तरह वह उनसे सिर्फ डरती नहीं थी। उन्हें पसंद भी करती थी। ऑफिस में सर बोलती थी। लेकिन घर पर आईने के सामने “राजेश” बोलने की प्रैक्टिस करती थी। नाम लेते ही जब आईने में से झांकते चेहरे के गालों पर लाली फैल जाती। तो शर्मा के हंसने लगती। पिछले 15 दिनों में राजेश को याद करके कितनी बार मन किया था कि। किसी काम के बहाने से उनको फोन कर दे। लेकिन हिम्मत नहीं हुई। सारा दिन राजेश ने खुद को काम में व्यस्त रखा और पारुल को अवॉइड करता रहा।
जब घर जाने के लिए निकला तो ऑफिस के पास वाले बस स्टॉप पर पारुल खड़ी थी। उसके सामने कार रोक कर बोला। मैं तुम्हें घर छोड़ दूं। नहीं सर मेरी बस आती होगी। मैं तुम्हारे घर के पास वाली बिल्डिंग में ही रहता हूं चलो मैं छोड़ दूंगा। रास्ते में दोनों चुप थे। समझ नहीं आ रहा था कि जो दिल में है उसे छुपाते हुए कोई और बात कैसे छिड़ी जाए। इस्क मोहब्बत में दरअसल सबसे मुश्किल काम यही होता है। कभी अपने आप से दिखवा करो। कभी सामने वाले से। कभी दुनिया से। और फिर यह डर कि इस सबके बावजूद कहीं कोई समझ न जाए कि दिल में चल क्या रहा है। पर बात करें तो भी क्या? राजेश सोच रहा था कि। इस उम्र में इसको फिल्मों की बात अच्छी लगती होगी सायद। रणबीर कपूर की बात करनी चाहिए। पारुल सोच रही थी इतनी सीरियस है सर। सायद किताबों की बात पसंद करेंगे। थोड़ी देर बाद चुप्पी तोड़ते हुए राजेश ने कहा। ऑफिस में तो आपको चुप नहीं देखा। आज आप इतनी चुप कैसे हैं? पारुल हल्के से मुस्कुरा दी। कुछ बोली नहीं। राजेश मुस्कुरा के बोला। भाई यह ऑफिस नहीं है और यहां मैं आपका बॉस नहीं हूं। अच्छा बताइए कौन-कौन है आपके फैमिली में। पापा है। और एक छोटा भाई। उसके बाद राजेश सिर्फ मुस्कुराते हुए उसके परिवार की बातें सुनता रहा। पारुलने जो बोलना शुरू किया तो। तभी रुकी जब कार उसके घर के सामने आकर रुकी। चलिए ना सर घर। पारुल ने कार से उतरते पूछा तो। राजेस मना न कर पाया। घर का दरवाजा 14 15 साल के एक लड़के ने खोला। क्या दीदी आज फिर देर कर दी। पारुल ने कहा पापा इनसे मिलिए मेरे बॉस है कहके राजेश से मिलवाया। तो पीछे से उसका भाई बोला। ओ.. यह वही जिनकी वजह से आप मेरे बर्थडे पर लेट आई थी। पारुल ने पलट के घूर के चुप होने का इशारा किया। लेकिन राजेश ने मुस्कुरा कर कहा। हां भाई वही है। आपसे सॉरी बोलने आया हूँ। पारुल के पापा ने मुस्कुराते हुए हाथ बढ़ाकर कहा। यह तुमने बहुत अच्छा किया जो आज घर चले आए। बहुत मन था तुमसे मिलने को। बहुत अच्छा करते हो ईन यंग लोगों को शख्ती से रखते हो। लगता है पारुल ने काफी बुराइयां की हे मेरी “सर”। राजेश मुस्कुरा कर उनसे हाथ मिलाते हुए बोला। पारुल चाय बनाने अंदर चली गई। और राजेश और उसके पापा वही बात करने लगे। बहुत अच्छा लग रहा था राजेश को उनसे मिलकर। पारुल के पापा कह रहे थे छोटी उम्र में ही पारुल की मां गुजर गई। तब से भाई की जिम्मेदारी इसी पर है। पारुल चंचल है। बोलती भी ज्यादा है। पर अपनी उम्र से ज्यादा समझदारी है। तभी पारुल चाय की ट्रे लेकर आ गई। राजेश के सामने ट्रे बढ़ाते हुए उसकी तरफ देखकर धीरे से बोली। राजेश चाय। पारुल के मुंह से अपना नाम सुनकर राजेश ने चौक के उसकी तरफ देखा। उसकी आंखें वही कह रही थी जो राजेश का दिल कह रहा था। पापा ने कुछ कहा नहीं। पर बेटी के दिल का हाल उन्हें समझ आ गया था।
उस रात राजेश को नींद नहीं आई। मन् में भारीपन था। आज बहुत अफसोस हो रहा था राजेश को। सोच रहा था जिस प्यार का मैं उम्र भर इंतजार करता रहा। जिसका इंतजार में मैंने कंप्रोमाइज करके कभी कोई रिश्ता कायम नहीं किया। वह आया भी तो ऐसे। काश पारुल मेरे ऑफिस में नहीं होती। काश इतनी छोटी नहीं होती। सुबह सेव करते हुए सामने आईना में चेहरा उदास और चुप था। जैसे आज उसके पास कहने को कुछ नहीं था। लेकिन राजेश तय कर चुका था कि उसे करना क्या है। ना समझ थी पारुल। क्या जानती थी रिश्ते के बारे में। उस दिन से राजेश ज्यादा से ज्यादा वक्त फील्ड में बताने लगा। ऑफिस में होता तो हर तरीके से पारुल को अवईड करता। पारूल को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हुआ क्या है। उसने अपने घर पर राजेश के चेहरे पर अपने लिए प्यार देखा था। अब उसकी बेरुखी समझ नहीं आ रही थी। शाम को ऑफिस के बाद राजेश कार में बैठा तो सामने पारुल आ गई। आप मुझे घर छोड़ देंगे। हां कम ईन राजेश ने कहा। सारे रास्ते दोनों चुप थे और हवा में भी बहुत कुछ अनकहा सा घूम रहा था। जब राजेश ने पारुल के घर पहुंचकर कार रोकी तो पारुल ने हल्की आवाज में कहा। राजेश आप मुझे अवईड क्यों कर रहे हैं? राजेश ने हंसते हुए कहा आप बॉस का नाम ले रही है। ये ऑफिस नहीं है और यहां आप मेरे बॉस नहीं है। यहां आप सिर्फ वह सक्ष हे जिनसे मुझे कुछ जवाब चाहिए। क्या आप मुझे इसलिए अवईड कर रहे है कि मैं आपको पसंद नहीं हूं। कहते हुए उसकी आंखें भर आई। राजेश को भी लगा कि अब इस बात का जवाब देने का वक्त आ गया था। नहीं पारुल मैं तुम्हें इसलिए अवईड कर रहा हूं। क्योंकि मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं। पारुल ने उन्हें हैरानी से देखा। मैं जानता हूं तुम्हें भी है लगता है कि तुम मुझसे प्यार करती हो। पर ऐसा नहीं है तुम्हें अपनी उम्र का। तो यह बात है। मेरी उम्र की वजह से आपको से प्यार नहीं कर सकते। पारुल ने उसकी बात काटते हुए कहा। यह छोटी बात नहीं है पारूल। बेमेल जोड़ियां किस्से-कहानियों में ठीक है। लेकिन यह लाइफ है। अब फर्क नहीं लगेगा। लेकिन यहीं फर्क 10 साल बाद बहुत ज्यादा लगने लगेगा। लाइफ पार्टनर की उम्र में फासला हो तो दूरी कम नहीं होती रोज बढ़ती है। मैं चाह कर भी इस फैसले को नहीं मिटा पाऊंगा। पारुल चुपचाप सुन रही थी। मैंने ट्रांसफर ले लिया है। अगले महीने में शहर छोड़ कर चला जाऊंगा। पारुल ने कार का दरवाजा खोला और चली गई। बिना कुछ कहे। बिना एक बार भी पीछे मुडे। राजेश उसे जाते हुए देखता रहा। दिल उदास जरूर था लेकिन उसे पता था कि उसने सही किया है।
पारुल के पापा उसके उदास चेहरे और सूजी हुई आंखें देखकर समझ तो गए थे कि क्या हुआ होगा। लेकिन बोले कुछ नहीं। जैसे-जैसे राजेश के जाने के दिन पास आ रहे थे। पारुल की उदासी बढ़ती जा रही थी। वह राजेश को कहना चाहती थी कि जिस प्यार से डर के वह भाग रहा है। उस प्यार को कम से कम एक मौका तो दें। अपने दिल की बात न सुनकर वह बहुत बड़ी गलती कर रहा है। लेकिन कुछ कह नहीं पा रही थी। आज शाम को पापा ने सिर पर हाथ फेर के पूछा। क्या बात है बेटा? तो पारुल कुछ बोल नहीं सकी। लेकिन आंखों से गिरते हुए आंसू ने सब कुछ कह दिया। उसे चुप करा के पापा ने अपने वाकिंग शूज पहने और बोले पारूल में घूमने जा रहा हूं। राजेश का घर उन्हें मालूम था। जब राजेश ने दरवाजा खोला तो। पारुल के पापा को देखकर हैरान हो गया। और फ्रिज से पानी निकालकर उन्हें देते हुए राजेश ने पूछा। चाय पियोगे आप। नहीं। सुना तुम जा रहे हो। जी सर। जानते हो जब पारुल ने मुझे बताया कि वह तुम्हें पसंद करती है। तो मैंने नाराज होकर तीन दिन तक उससे बात नहीं की। तुम दोनों में उम्र का फासला मुझे बहुत ज्यादा लगा। राजेश ने जवाब नहीं दिया। फिर वह बोले। पर फिर इस बारे में मैंने बहुत सोचा। मैं तुमसे उम्र में बड़ा हूं। मैंने तुमसे ज्यादा दुनिया देखी है। दुनिया में किसी रिश्ते की कोई गारंटी नहीं है। हर तरीके से परफेक्ट जोड़ियां भी टूट जाती हैं। कि कुछ पल रुक के बोले पारुल की मां मुझसे सात साल छोटी थी। लेकिन उसे गुजरे भी 17 साल हो गए। न लाइफ की गारंटी है। न रिस्तों की। तुम समझ रहे हो ना मैं क्या कह रहा हूं। जी राजेश उनकी तरफ़ देख रहा था। वह बोले प्यार जिस उम्र में। जिस वक्त में आता है। उसे आने दो। शर्तें मत रखो। दिल के रिश्तो में सिर्फ दिमाग से फैसला नहीं करना चाहिए। तुम समझ रहे हो ना मैं तुमसे क्या कह रहा हूं। जी राजेश ने जवाब दिया। कि उनके जाने के बाद राजेश बहुत देर तक सोचता रहा। पारुल के पापा की बातों से उसे अपने कई सवालों के जवाब मिल गए थे। उनकी रजामंदी से उसको तसल्ली मिली थी। हिम्मत मिली थी। पिछले कुछ दिनों में वह यह तो समझ गया था कि पारुल के बिना जिंदगी बेमायने हैं। किसी भी काम में दिल नहीं लगता था। कंबख्त इश्क चीज ही ऐसी है। थोड़ी देर बाद जब चेहरा धोने के लिए वॉसरूम गया तो शेशे में वही चेहरा था। उसका अपना चेहरा। दुष्ट मुस्कुरा रहा था। तुम्हारी तो लॉटरी लग गई। अरे अब तो यह देवदास वाली दाड़ी काटो। पारुल को फोन करो। राजेश मुस्कुराते हुए फोन उठाने लगा। शीशे मैं उसके अक्ष से फिर अवाज आई। प्यार का यह सफर मुबारक हो। बस इतनी सी थी यह कहानी।